पलवल, सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप की अध्यक्षता में बुधवार को वल्र्ड एड्स-डे का आयोजन किया गया। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्य कर रहा है और आगामी 15 दिसंबर तक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि एड्स डे लगभग && सालों से विश्व में इस सन्दर्भ में कार्यक्रम किए जाते हैं। एड्स के बारे में सबसे ’यादा जानना जरूरी है कि एड्स एक इस प्रकार की बीमारी है, जो एचआईवी नाम के वायरस से फैलती है।
डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि यह एक ऐसा वायरस है, जो हमारे शरीर के अंदर रोगों से लडऩे की क्षमता को कम कर देता है। शरीर में इम्युनिटी कम होने की वजह से हमारे शरीर में अनेकों रोग लगने लगते हैं। इसीलिए इम्युनिटी कम होने को ही एड्स कहते है। उन्होंने बताया कि एड्स के रोगी को छूने से, इनसे बात करने से, इनके साथ बैठने से, इनके साथ खाना-खाने से एड्स नहीं होता।
लोगों की सोच के कारण एड्स के रोगी अपने आपको प्रताडि़त महसूस करते हैं। इसी छुआछूत को खत्म करने के लिए इस बार का एड्स कार्यक्रम रखा जा रहा है।
सिविल सर्जन ने कहा कि एड्स के संबंध में सबसे ’यादा जरूरी यह जानना है कि एड्स किस प्रकार से फैलता है। आमतौर से इन्फेक्टेड निडल से (एड्स के मरीज के इंजेक्शन से ही दूसरे मरीज को इंजेक्शन लगा देने से), गलत संबध बनाने से इसका खतरा बनता है, अगर मां को एड्स की बीमारी है, तो ब‘चे को भी इसका खतरा बना रहता है, अगर कोई एड्स वाला व्यक्ति अपना ब्लड डोनेट करे, तो जिस व्यक्ति को वह रक्त चढ़ेगा, उसको एड्स हो सकता है।
इसीलिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। किसी भी लैब के अंदर अगर ब्लड लिया जाता है तो उसका एचआईवी टेस्ट अवश्य किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की जाती है, ताकि किसी भी महिला को अगर एचआईवी हो, तो उसका जल्द से जल्द पता लग पाए।
इसकी सुरक्षा के बारे में लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और युवाओं को इस संबंध में ’यादा से ’यादा बताया जाता है। सभी को जागरूकता कार्यक्रम के दौरान बताया जाता है कि इंजेक्शन लगवाने से पहले मरीज भी इस बात पर ध्यान दें कि कहीं वह सिरिंज पहले से इस्तेमाल तो नही हो रखी हैं। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि इंजेक्शन लगाने में हमेशा नई सिरिंज का इस्तेमाल करना चाहिए।