पलवल, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. पवन कुमार शर्मा ने बताया कि जिला में अत्याधिक रसायनो के प्रयोग से कृषि योग्य भूमि का स्वास्थ्य बिगडता जा रहा है, जिसके कारण भूमि की उपजाऊ क्षमता में कमी आ रही है, जिसका प्रभाव किसानो की फसल की पैदावार पर नकारात्मक पड रहा है। खेत की मिट्टï में कार्बनिक पदार्थो की कमी से किसान उत्पादन नहीं ले पाता, जिसका सीधा-सीधा असर किसान की आय पर पडता है।

जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का किसानो की आय को दुगना करने का लक्ष्य है। यदि जमीन में उर्वरक क्षमता नहीं रहेगी, तो किसान किस तरह अपनी आय को दुगना करेगा। इसी कड़ी में कृषि एंव किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा खेतो की उपजाऊ क्षमता को बढाने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान पर ढैंचा का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है।
डा. पवन शर्मा ने बताया कि ढैंचा बोने के इच्छुक किसान वैबपोर्टल www.agriharyana.gov.in पर जाकर अपना पंजीकरण कराएं तथा साथ ही अपने पंजीकरण का प्रिंट अवश्य लें, क्योंकि इस पंजीकरण के प्रिंट के आधार पर ही सरकारी बिक्री केन्द्र से 80 प्रतिशत अनुदान पर एक किसान को अधिकतम 10 एकड का बीज दिया जाएगा।
खंड तकनीकी प्रबंधक हितेश राणा ने बताया कि जिला पलवल के लिए 25 हजार एकड का लक्ष्य आर.के.वी.वाई. योजना के तहत 3 हजार क्विंटल ढैंचे का बीज वितरीत किए जाने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है। जोकि हरियाणा बीज विकास निगम की दुकान से पंजीकृत किसानों को वितरीत किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गेंहू की कटाई के बाद अप्रैल-मई माह के अंत तक ढैंचा, सेंजी, ग्वार, लोबीया, मूंग की फसल उगाकर इसको हरी खाद के तौर पर मिट्टï में मिलाकर खेती की उपजाऊ सक्षमता को बढ़ाया जा सकता है। पोर्टल पर पंजीकरण की अंतिम तिथि 04 अपै्रल 2023 निर्धारित की गई है। इसलिए किसान जल्द से जल्द अपना पंजीकरण अवश्य करवा लें अन्यथा 80 प्रतिशत अनुदान पर मिलने वाले लाभ से चूक जाएंगे। एक एकड़ खेत में 10 से 12 किलो ढैंचा की बिजाई की जाती है। बीज विकास निगम के बिक्री केन्द्रो पर 12 किलो ढैंचे का बैग मिलता है, जिसमें दो सिंचाइयों के उपरांत उगे हुए ढैंचा को खेत में ही जुताई कर मिट्टï में मिला दिया जाता है। हरी खाद कम उपजाऊ भूमि का स्तर बढाने में अपना योगदान देती है।