सरसों फसल को रोग व कीटों से बचाव करके ले ज्यादा पैदावार - Palwal City

सरसों फसल को रोग व कीटों से बचाव करके ले ज्यादा पैदावार

पलवल। कृ‌षि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक ने कहा है कि सरसों की फसल इस समय अच्छी चल रही है। पलवल जिले में लगभग 20 हजार एकड़ में सरसों की फसल बोई गई है। गेहूं की तुलना में सरसों एक चौथाई पानी व कम उर्वरक से ही भरपूर पैदावार दे देती है।

कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक गांव खीरवी में किसान गोष्ठी में किसानों को इसके लिए जागरूक करते हुए जानकारी दे रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रगतिशील किसान धर्मवीर ने की तथा संचालन मास्टर दुलीचंद ने किया।

डॉ. मलिक ने बताया कि इस समय सरसो फूल आने व फलिया छुटने की अवस्था में है। किसान फूल खिलते समय सिंचाई अवश्य कर दें, क्योंकि इस समय पाला भी पड़ रहा है। इससे फसल का पाले में पहले से भी बचाव होगा। सिंचाई के समय 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ के हिसाब से पहले पानी पर ही लगा देना चाहिए। सरसों में अच्छी पैदावार लेने के लिए रोग व कीट नियंत्रण करना जरूरी है।

सरसों में तना गलन रोग से तने कमजोर होकर कुछ पौधे खेतों में सूखते दिखाई पड़ रहे हैं और तना गलन रोग नियंत्रण के लिए फसल बिजाई के 50 से 55 दिन बाद 200 ग्राम कार्बनडेजिम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर देना चाहिए। सरसों में काला धब्बा रोग, ब्लाइट,फुलिया रोग तथा सफेद रतवा रोग भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

इन रोगों के लक्षण दिखाई देते ही 600 ग्राम मैनकोज़ेब दवा 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से 15 दिन के अंतर पर दो छिड़काव कम से कम करें।सरसों की समय पर बिजाई करने पर रोग से बचाव अपने आप ही हो जाता है।

उन्होंने किसानों को बताया कि पछेती बिजाई की गई सरसों फसल में चेपा कीट का आक्रमण हो जाता है। जनवरी माह का मौसम चेपा कीट के लिए अनुकूल होता है। इस कीट के प्रकोप से फसल उत्पादन गिर जाता है।

अतः इस कीट का नियंत्रण समय रहते अवश्य कर देना चाहिए। चेपा कीट समूह में पौधों के ऊपरी सभी भागो, फल फूल, टहनियों, फलियों आदि का रस चूस कर काफी नुकसान पहुंचाते हैं। 10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर 13 कीट प्रतिपौधा दिखाई पड़ने पर इसकी रोकथाम के लिए 250 से 400मिलीलीटर डाईमेथोऐट 30 प्रतिशत दवा 250 से 400 लीटर पानी मे मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर देना चाहिए। यदि सरसों की फसल साग के लिए बिजाई की गई है तो फसल पर मेलाथियान दवा का ही छिड़काव करना चाहिए।

मधुमक्खियों को बचाने के लिए छिड़काव दिन में दोपहर 3 बजे के बाद करना चाहिए क्योंकि इस समय मधुमक्खियां अपने छततो लूटने लगती है। प्रारंभिक अवस्था में चेपा कीट का नियंत्रण खेत के चारों ओर कुछ बाहरी लाइनों पर दवा छिड़क कर आसानी से किया जा सकती है। इस अवसर पर किसानों को खेत पर सरसों फसल में मित्र कीटों, शत्रु कीटो, रोगों की पहचान बताई। गोष्ठी में किशन सिंह, रमेश,अमित कुमार, पंकज ,दयाराम पंच, महेंद्र सिंह, घनश्याम, देवी सिंह, रंगलाल, दिगंबर, सुनील, रविंदर, लेखीराम आदि किसान मौजूद रहे।

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