पलवल, ओलंपियन पहलवानों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज करने और जंतर-मंतर से जबरन टेंट उखाड़कर धरना समाप्त करवाने की कर्मचारी, मजदूर व किसान संगठनों ने घोर निन्दा की है और सरकार के निर्देश पर की गई इस कार्रवाई को दमन व उत्पीड़न की पराकाष्ठा करार दिया है। राज्य कर्मियों को प्रमुख संगठन ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष सुभाष लांबा, कोषाध्यक्ष रहे
श्रीपाल सिंह भाटी, सीआईटीयू की जिला प्रधान उर्मिला रावत व महासचिव रमेश चंद्र, किसान नेता धर्मचंद घुघेरा व महेंद्र सिंह चौहान और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान राजेश शर्मा व सचिव योगेश शर्मा ने मंगलवार को यहां जारी बयान में केन्द्र सरकार के निर्देश पर पुलिस द्वारा ओलंपियन गोल्ड मेडलिस्ट पहलवानों को बेहरमी से घसीटते हुए गिरफ्तार करने, धरने के टेंट उखाड़ने और उनके खिलाफ दंगा फैलाने, सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने, बैरिकेडिंग तोड़ने और पुलिस के साथ मारपीट करने के झुठे मुकदमे दर्ज करने को शर्मनाक बताया है। कर्मचारी एवं मजदूर नेताओं ने बताया कि यह सब यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद को बचाने और पहलवानों में डर पैदा करने के लिए किया जा रहा है। ताकि आंदोलन पुनः शुरू न हो सकें।

उन्होंने कहा कि पहलवानों की कमेटी आंदोलन को लेकर जो भी फैसला लेगी,उसका पुरजोर समर्थन किया जाएगा। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि 28 मई को कई संगठनों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर नए संसद भवन के सामने शांतिपूर्ण तरीके से महिला सम्मान महापंचायत करने का ऐलान किया था। इससे भयभीत होकर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया था और दिल्ली पहुंच रहे हजारों किसानों, पहलवानों व महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था।
जिसमें पलवल जिले से भी दर्जनों किसान नेता शामिल थे। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया सहित बड़ी संख्या में पहलवानों व उनके समर्थकों को दिल्ली पुलिस ने बड़ी बेहरमी से सड़क पर घसीटते हुए जबरन गिरफ्तार किया गया। ओलंपियन पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस का यह आचरण शर्मशार करने वाला था। जिसको पुरे देश ने देखा था। उन्होंने कहा कि इससे भी सरकार व पुलिस की तसल्ली नहीं हुई और दिल्ली पुलिस ने मनघड़ंत शिकायत के आधार पर साक्षी मलिक, विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया सहित 13 पहलवानों एवं उनके समर्थकों व 109 अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज भी कर दिए हैं। अन्य में किसी का भी नाम जोड़ा जा सकता है। जबकि महिला पहलवानों को यौन उत्पीड़न के आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय जाना पड़ा। लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया।