पलवल। कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर सिंह मलिक ने कहा कि घटते जल स्रोत, गिरता भूजल स्तर तथा सामान्य से कम होती वर्षों से भविष्य में खेती के लिए जल संकट की समस्या गंभीर व भयभीत करने वाली है। इसलिए पानी का सदुपयोग करके खेती में भी पानी बचाने के सार्थक प्रयास समय की मांग है।
डॉ.मलिक शनिवार को गांव बामनीखेड़ा में आयोजित जल संरक्षण गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। गोष्टी में अटल भू–जल योजना से कृषि अधिकारी मनोहर लाल शर्मा मौजूद रहे। अध्यक्षता बामनीखेड़ा के सरपंच डॉ. मुकेश तंवर ने की. जबकि संचालन पंडित दीपचंद व ओम शर्मा ने किया।

डॉ.मलिक ने कहा कि फव्वारा व बूंद-बूंद सूक्ष्म सिंचाई पानी बचाने की सबसे उत्तम व सरल विधि है। सूक्ष्म सिंचाई विधि के द्वारा कम पानी से ज्यादा जमीन को सींचा जा सकता है। इससे सिंचाई के पानी की 60 से 80 प्रतिशत बचत तथा 50 प्रतिशत तक फसलों का उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।
फव्वारा सिंचाई विधि कम दूरी वाली फसलों जैसे बाजरा, ज्वार, सरसों, गेहूं, जो, कपास तथा सब्जियों के लिए तथा कटाव, ढुलाईनुमा व रेतीली भूमि के लिए वरदान साबित हुई है। इस विधि में पानी को पौधों के ऊपर वर्षा की बूंद की तरह फव्वारे के रूप में दिया जाता है। इस अवसर पर ओमप्रकाश, रामचंद, योगेश, अनिल, विशाल, विनोद, शिवदत्त शर्मा, सुभाष, रामनारायण, चिरंजी, प्रवीण मौजूद रहे।