पलवल, उपायुक्त नेहा सिंह ने बताया कि अंतरराष्टï्रीय पोषक अनाज वर्ष-2023 के अंर्तगत जिला पलवल में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। जिला के गांवो के साथ-साथ स्कूलों में शिविर लगाकर बच्चो के माध्यम से अभिभावको को जागरूक किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की ओर से अंतरराष्टï्रीय पोषक अनाज वर्ष-2023 के लिए जिले में किसानों को जागरूक करने हेतु पूरे वर्ष के लिए कैलेंडर तैयार किया गया है, जिसके अनुसार प्रत्येक खंड के किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा जागरूक किया जा रहा है। किसानो को चाहिए कि सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें। जल बचाव के लिए मेरी पानी-मेरी विरासत योजना को मेरी फसल मेरा-ब्यौरा योजना से जोड दिया गया है।
धान के स्थान पर दलहन, तिलहन, कपास, ज्वार, चरी-चारा यहां तक की खाली खेत छोडऩे पर सरकार किसानों को सात हजार रुपए प्रति एकड़ सहायता राशि प्रदान करेगी। उन्होंने सभी किसानो से आह्वïान किया है कि वे धान के रकबे को कम करते हुए सरकार की इस योजना का लाभ जरूर उठाएं।
खंड पलवल के अंर्तगत शहर के किसानों को जागरूक करते हुए सुपरवाईजर विजय कुमार ने बताया कि मोटे अनाज की आवश्यकता हमारे समाज में बढ़ती हुई बीमारियों के कारण हुई है, क्योंकि गेहू तथा धान के उत्पादन से और अत्याधिक रासायनिक खाद के उपयोग से समाज के हर दूसरे व्यक्ति का स्वास्थ प्रभावित हो रहा है।
यदि हम मोटा अनाज उत्पदान कर अपनी थाली में अपनाते हैं, तो बीमारियों से बचा जा सकता है। सुपरवाईजर वेदप्रकाश द्वारा गांव टहरकी के सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए कहा कि अपने परिवार मेें खेती-बाडी करने वाले सदस्यों को मोटा अनाज जैसे-बाजरा, ज्वार की फसल खरीफ सत्र में बोने के लिए कहें, जिससे न केवल हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पडेगा, बल्कि जल की बचत के साथ-साथ कम लागत द्वारा अच्छी फसल का उत्पादन होगा।