पलवल, सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप की अध्यक्षता में सिविल सर्जन कार्यालय में एचआईवी एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रोग्राम के दौरान डिप्टी सिविल सर्जन एवं एड्स की नोडल अधिकारी डा. रेखा सिंह, डिप्टी सिविल सर्जन एवं जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. योगेश मलिक व पूरी टीम मुख्य रूप से मौजूद रही।
सिविल सर्जन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 1 से 15 दिसंबर तक एचआईवी एड्स जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस जागरूकता कार्यक्रम के चलते जगह-जगह स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा लोगों को एचआईवी एड्स के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि लोगो को एचआईवी एड्स रोग होने से सतर्क रहें व बीमारी होने से पहले ही सावधानी बरतें।

डिप्टी सिविल सर्जन एवं एड्स की नोडल अधिकारी डा. रेखा सिंह के द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि इस विषय में स्वास्थ्य विभाग लगातार कार्य कर रहा है एवं 1 दिसंबर से लेकर 15 दिसंबर तक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एड्स-डे पर लगभग 33 सालों से विश्व में इस संबंध में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
डा. रेखा सिंह ने बताया कि एड्स के बारे में सबसे ज्यादा जानना जरूरी है कि एड्स एक इस प्रकार की बीमारी है, जो एचआईवी नाम के वायरस से फैलती है। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि यह एक ऐसा वायरस है, जो हमारे शरीर के अंदर रोगों से लडऩे की क्षमता को कम कर देता है और शरीर में इम्युनिटी कम होने की वजह से हमारे शरीर में अनेकों रोग होने लगते हैं।
इसीलिए इम्युनिटी कम होने को ही एड्स कहते है। सिविल सर्जन ने बताया कि ऐसा पाया गया है कि एड्स के रोगी से लोगों को यह लगता है कि इनको एड्स हो गया है, कहीं इन्हें छूने से, इनसे बात करने से, इनके साथ बैठने से, इनके साथ खाना-खाने से कहीं हमे तो एड्स नहीं हो जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है।
लोगों की इसी सोच की वजह से जो एड्स के रोगी हैं, वो प्रताडि़त महसूस करते हैं। इसी छुआछूत को खत्म करने के लिए इस बार का एड्स प्रोग्राम रखा जा रहा है। सिविल सर्जन ने कहा कि एड्स के संदर्भ में सबसे ज्यादा जरूरी यह जानना है कि एड्स किस प्रकार से फैलता है। आमतौर से इन्फेक्टेड निडल से (एड्स के मरीज के इंजेक्शन से ही दुसरे मरीज को इंजेक्शन लगा देने से), गलत संबध बनाने से इसका खतरा बनता है, अगर मां को एड्स की बीमारी है, तो बच्चे को भी इसका खतरा बना रहता है,
अगर कोई एड्स वाला व्यक्ति अपना ब्लड डोनेट करे, तो जिसको वो खून चढ़ेगा, उसको एड्स हो सकता है। इसीलिए लगातार जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। किसी भी लैब के अंदर अगर ब्लड लिया जाता है तो उसका एचआईवी टेस्ट अवश्य किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की जाती है, ताकि किसी भी महिला को अगर एचआईवी हो, तो उसका जल्द से जल्द पता लग पाए।
इसकी सुरक्षा के बारे में लगातार कार्यक्रम किए जाते हैं और नए युवाओं को इस सन्दर्भ में ज्यादा से ज्यादा बताया जाता है। सभी को जागरूकता कार्यक्रम के दौरान यही बताया जाता है कि इंजेक्शन लगवाने से पहले मरीज भी इस बात पर ध्यान दें कि कहीं वो सिरिंज पहले से इस्तेमाल तो नही हो रखी हैं। डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि इंजेक्शन हमेशा नई सिरिंज के साथ लगवाना चाहिए। किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर-1097 पर संपर्क किया जा सकता है।